विश्व पर्यावरण दिवस विशेष…
पर्यावरण सुरक्षित करने के लिए दो सौ बीघा में कर दी हरियाली
ग्राम पंचायत कुंजेड के प्रयासों से 12 हजार पौधे बन गए पेड़
वन्य जीवों को मिला आश्रय, बदल गई क्षेत्र की आबोहवा
कुंजेड.
कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों…! इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया ग्राम पंचायत कुंजेड ने। ग्राम पंचायत के प्रयासों से बंजर भूमि को भी हर भरा बना दिया। ऐसा ग्राम पंचायत और सरपंच के जुनून और जज्बे के चलते हुआ है। क्योंकि, यहां पथरीली भूमि होने से पौधे नही लगाएं जा सकते थे, लेकिन कड़ी मेहनत और प्रयासों से इस क्षेत्र का पर्यावरण सुरक्षित हो गया। करीब 12 हजार पौधे पेड़ बन गए है। पौधे करीब चार साल पहले रौंपे गए थे। पौधे लगाने से पूर्व यह पूरा क्षेत्र बंजर था। इसके साथ अतिक्रमण की भी चपेट में था। ग्राम पंचायत ने पुलिस और ग्रामीणों के सहयोग से इस क्षेत्र को अतिक्रमण मुक्त करवाकर पौधे लगाए। अब यहां सब ओर हरियाली है।
वन्यजीवों की बढ़ी तादाद
करीब 200 बीघा भूमि में पौधे लगाए जाने से यहां की आबोहवा बदल गई है। हरियाली होने से वन्यजीवों की शरण स्थली बन गया है। दुर्लभ वन्यजीवों की संख्या में इजाफा हुआ है। जंगली सूअर, जंगली बिल्ली, हरिण, नीलगाय, भेड़िया, खरगोश समेत अन्य जीव हर समय देखे जा सकते है। खास बात ये है कि मानवीय दखल नही होने से वन्यजीव स्वछंद विचरण करते हुए नजर आते है। इसके अलावा प्रवासी पक्षियों की मौजूदगी भी इस साल दर्ज की गई थी। वन्यजीवों और पक्षियों के लिए ग्राम पंचायत ने पानी के लिए एक एनीकट बना रखा है, जिसमें हर समय पानी उपलब्ध रहता है।
विभिन्न पौधों की प्रजातियां मौजूद
यूं तो यहां हजारों की संख्या में पौधे है, लेकिन ज्यादातर पौधे फलदार है। इन पौधों में अमरूद, जामुन, आम, नीम, बरगद, अल्सटॉनिया, शीशम, सागवान, नींबू, धाक समेत पौधों की अन्य प्रजातियां है। इनमें कुछ पेड़ तो फल भी देने लगे है। इसके अलावा औषधि युक्त पौधे भी है।
लोगों को मिल रहा रोजगार
मनरेगा में पंचपल योजना के माध्मय से लगाएं गए इन पौधों से न केवल इस क्षेत्र का पर्यावरण शुद्ध हुआ है बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिल रहा है। क्योंकि, इन पौधों को सींचने के लिए श्रमिकों की जरूरत होती है। ऐसे में श्रमिक काम करते हुए नजर आते है। करीब 30-40 श्रमिकों को नियमित रोजगार मिल रहा है, जिससे यहां के श्रमिक सशक्त बनकर उभरे है।
इनका कहना है।
ग्राम पंचायत के प्रयासों से इस क्षेत्र की आबोहवा बदल गई है। यहां का पर्यावरण शुद्ध हो गया है। ये पौधे भविष्य में सुखदायी होंगे।
प्रदीप कुमार जैन, शिक्षक और पर्यावरण प्रेमी
हमारा प्रयास था कि मनरेगा का पैसा सही जगह खर्च हो। इसको ध्यान में रखते हुए पौधे लगाए गए थे। सभी पौधे पेड़ हो चुके है।
प्रशांत पाटनी, पूर्व सरपंच
सभी पौधे पेड़ बन गए है। इनकी देखरेख के लिए सुरक्षा गार्ड नियुक्त किए है। आगे भी हमारा प्रयास रहेगा कि पूरे प्रदेश में रोल मॉडल हो।
राजेश पाटनी, सरपंच, ग्राम पंचायत, कुंजेड
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