कोटा
कभी बाघिन के साथ लिपटना तो कभी साथ-साथ दौड लगाना। दिन में तेज धूप पड़ने पर पेड़ों की घनी छांव तले दुबक जाना। पास में स्थित वाटर पॉइंट पर पानी में अठखेलियां करना। ये दृश्य इन दिनों मुकंदरा टाइगर रिजर्व में खूप दिखाई पड़ रहे हैं। दरअसल, पिछले दिनों मुकंदरा टाइगर रिजर्व में एमटी-2 बाघिन ने दो नन्हें शावकों को जन्म दिया था। शावक अब घूमने फिरने की स्थिति में आ चुके है, जो कि इन दिनों वन्यकर्मियों के लिए आकषर्ण का केंद्र बने हुए है।
शावकों की अठखेलियों को देख हर वन्य कर्मी खासे रोमांचित हो रहे है। नए मेहमानों की खास बात यह है कि अक्सर पूरे परिवार के साथ ही नजर आते हैं। मां एमटी-2 तो अक्सर निहारते हुए देखी गई जबकि पिता एमटी-1 भी हर समय इनको सुरक्षा में मुस्तैद दिखा।
हर दूसरे दिन हो रहे स्पॉट
शुरूआत में शावक कम नजर आते थे। इस सप्ताह में दो तीन बार नजर आ गए है। इनकी मॉनिटरिंग करने वाले अधिकारी बताते है कि शावक अब धीरे-धीरे विकसित हो रहे है। बाघिन के साथ रहकर शिकार के गुर सीख रहे है। उनका कहना है कि अभी तो बाघिन द्वारा किए गए शिकार का भक्षण कर लेते है। बाद में इनको शिकार की आवश्यकता होगी। ऐसे में अभी से पारंगत होने लगे है।
दोनों की नहीं हुई पहचान
टाइगर रिजर्व में दोनों शावकों की पहचान नहीं हुई है। अभी स्पष्ट नहीं हो सका है कि यह नर है या मादा। क्योंकि, अभी तक पूरी तरह से विकसित नहीं होने से अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। विभाग के जुडेÞ कुछ लोग तो एक नर तथा एक मादा बता रहे है। हालांकि, यह फोटो के आधार पर कह रहे है। अधिकारियों का कहना है कि जब तक इनको नजदीक से देख न ले तब तक कुछ भी नहीं कहा जा सकता। इनको पास जाकर देखने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
एमटी-5 और एमटी-6 संभावित नाम
दोनों शावकों के संभावित नाम एमटी-5 और एमटी-6 हो सकते है। क्योंकि, मुकंदरा टाइगर रिजर्र्व में सभी बाघों के नाम कोडिंग के अनुसार है। इसके अनुसार शुरूआती बाघ का नाम एमटी-1 था। इसके बाद के बाघिन का नाम एमटी-2 है। दोनों शावकों का जन्म इससे हुआ है। एमटी-3 और एमटी-4 सॉफ्ट एनक्लोजर के बाहर विचरण कर रहे है। ऐसे में दोनों शावकों का नाम एमटी-5 और एमटी-6 होना तय है। अधिकारियों का कहना है कि दोनों शावकों की 24 घंटे मॉनिटरिंग की जा रहे है।
इनका कहना है।
टाइगर रिजर्व में हाल ही जन्मे शावक अब विकसित होने लगे है। शिकार के गुर सीख रहे है। इनकी अठखेलियां सभी को रोमांचित कर रही है। वनकर्मियों द्वारा इनकी 24 घंटे मॉनिटरिंग की जा रही है।
डॉ टीमोहन राज, डीएफओ, मुकंदरा टाइगर रिजर्व, कोटा

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