मुकुन्दरा टाइगर रिज़र्व में आएंगे नए बाघ
उच्चाधिकारी कर रहे प्लान एनटीसीए की मंजूरी का इंतजार
4 बाघों की चल रही अटकलें, 6 माह का लग सकता है समय
कोटा
मुकुन्दरा टाइगर रिज़र्व में नए बाघ लाएं जा सकते है। उच्चाधिकारियों ऐसे संकेत दिए है। हालांकि, इस प्रक्रिया में लम्बा समय लग सकता है। बताया जा रहा है कि बाघिन की मौत के दौरान जयपुर से उच्चाधिकारी मुकुन्दरा आए थे। इस दौरान उन्होंने ऐसे संकेत दिए है। अब नेशनल टाइगर कंसर्वशन ऑथोरिटी (एनटीसीए) के मंजूरी का इंतजार रहेगा। हालांकि, एनटीसीए की टीम मुकुन्दरा पहुंच गई है। उन्होंने यहां की भौतिक स्थिति का जायजा लिया। अधिकारी यहां से जाने के बाद रिपोर्ट देंगे। सूत्र बताते है कि इस प्रक्रिया में करीब 6 माह का समय लग सकता है। क्योंकि, बाघ शिफ्टिंग की प्रक्रिया लम्बी होती है। ऐसे में समय लग सकता है।
बाघों की मौत के बाद देरी सम्भव
टाइगर रिज़र्व में बाघ शिफ्टिंग की प्रक्रिया पिछले कई दिनों से चल रही थी, लेकिन बाघों की मौत के बाद इस प्रक्रिया में अब देरी हो जाएगी। गौरलतब है कि मुकुन्दरा में एक के बाद दो बाघ मर चुके है। साथ बघिम एमटी-2 का एक शावक और बाघिन एमटी-4 के शावक भी नही मिले है। ये घटनाएं बाघ शिफ्टिंग में देरी करेगी।
एमटी-1 की हुई साइटिंग
बाघ एमटी-1 की बुधवार को साइटिंग हुई। साइटिंग के बाद सभी अधिकारी मुकुन्दरा पहुंचे। अब पता लगाया जा रहा है कि एमटी-1 को कितनी चोट है। क्योंकि, एमटी-2 और एमटी-1 के बीच लड़ाई हुई थी। सम्भावना जताई जा रही है कि दोनों की लड़ाई में एमटी-1 को भी चोट लगी हो। ऐसे में इसकी जांच होगी।
इधर, घायल शावक की हालत में सुधार
बाघिन एमटी-2 के शावक का कोटा चिड़ियाघर में उपचार चल रहा है। इसकी हालत में सुधार है। बुधवार को चिकित्सकों ने बोतल के माध्यम से दूध पिलाया। हालांकि, अभी भी स्वतः दूध नही पी रहा है। ऐसे में अभी कुछ नही कहा जा सकता। उपचार कर रहे डॉक्टर तेजेन्द्र रियाड़ का कहना है कि इसकी हालत में सुधार है।
बीजो जॉय ने संभाला कार्यभार
पूर्व में वन्यजीव विभाग में नियुक्त उपवन संरक्षक बीजो जॉय ने बुधवार को कार्यभार ग्रहण कर लिया। कार्यभार के बाद जॉय मुकुन्दरा में बाघ की साइटिंग के लिए चले गए। इनके अलावा दर्रा रेंज में एसीएफ पद पर विजय चौधरी को लगाया है। साथ ही रेंजर पद पर संजीव गौतम को लगाया है। रेंजर माखन लाल शर्मा और एसीएफ राजेश शर्मा को एपीओ कर दिया गया।
इनका कहना है
अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। इस प्रक्रिया में देरी लगेगी। एनटीसीए पर भी काफी कुछ निर्भर है।
जीवी रेड्डी, हेड ऑफ फॉरेस्ट

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