कोटा के डॉक्टर्स का कमाल:
पक्षियों के टूटे पंखों में राड डालकर उड़ाए
मौखा पाड़ा स्थित पशु चिकित्सालय का मामला
प्रदेश में ऐसा पहली बार हुआ, कीर्तिमान स्थापित
कोटा
डॉक्टर्स का धरती का भगवान यूं नहीं कहते। वे नई जिंदगियां देते है। उनमें कुछ करने का जज्बा होता है। ऐसा जज्बा मौखा पाड़ा स्थित बहुउद्देश्यीय पशु चिकित्सालय के डॉक्टर्स ने कर दिखाया है। जहां पर डॉ अखिलेश पांडे, डॉ गणेश नारायण दाधिच और उनकी टीम ने दो पक्षियों को फिर से नई जिंदगी देकर उड़ने के योग्य बनाया है। दरअसल, दो जलीय पक्षी इग्रेट और वैटल्ड लैपविग के पंख टूट गए थे। इनको पक्षी प्रेमी चिकित्सालय लेकर पहुंचे थे। दोनों के पंख पूरी तरह से टूट चुके थे। पंखों की हड्डियां भी पूरी टूट गई थी। किसी भी स्थिति में उड़ नही सकते थे। ऐसे में डॉक्टर्स ने रॉड डालकर कर आॅपरेशन किया। आॅपरेशन के तुरंत बाद दोनों को तुरंत रिलीज कर दिया गया। डॉ पांडे ने बताया कि दो पक्षियों को यहां पर लाया गया गया। उनकी स्थिति क्रिटिकल थी। पंख पूरी तरह से टूट गए थे। हड्डियां भी टूटी हुई थी। जिससे वो न तैर सकते थे और नहीं उड़ सकते थे। पतले तार की रॉड बनाकर उनका टूटी हड्डियां में रखकर आॅपरेशन किया। पांडे ने बताया कि आॅपरेशन के दो घंटे बाद ही दोनों को रिलीज कर दिया गया। अब दोनों उड़ और तैर सकते हैं।
राजस्थान में प्रथम आॅपरेशन
बहुउद्देश्यीय पशु चिकित्सालय के डॉक्टर्स का दावा है कि प्रदेश में इस तरह का प्रथम आॅपरेशन है। ऐसे पहले कभी नहीं किया गया है। उन्होंने बताया कि दोनों पक्षी अलग-अलग जगह से आए थे, लेकिन दिनों एक जैसे ही घायल थे। एक पक्षी इग्रेट (सफेद बगुला) रानपुर से और दूसरा पक्षी स्टिल्ट दादाबाड़ी इलाके से घायल अवस्था में ला गया था। दोनों को इस दुर्लभ आॅपरेशन से ठीक कर दिया गया। उनका कहना है कि ऐसे मामले पहले भी आते थे, लेकिन उपचार नहीं होने से उड़ नहीं पाते थे। अब उड सकेंगे।
जुगाड़ की बनाई रॉड
टीम ने बताया कि रॉड बनाने के लिए यही पर जुगाड़ किया। क्योंकि, इतनी छोटी रॉड बाजार में नहीं मिलती। इसके लिए टीट केनाल जो कि स्टील की ट्यूब होती है। इस स्टील की ट्यूब से रॉड बनाई बनाई गई। इग्रेट की हड्डी के बराबर रॉड को तैयार किया गया। एक दिन रखने के बाद पक्षी के मालिक को सौंप दिया गया। उन्होंने बताया कि ज्यादा दिन रखने पर ये पक्षी शॉक में आ जाते है। इसलिए इनको ज्यादा दिनों तक नहीं रख सकते। इनको उनके इलाकों में ही छोड़ना होता है और उनको दूर स्व ही निगरानी में रखा जाता है। पांडेय ने बताया कि उनकी इस प्रकार से ड्रेसिंग और इंजेक्शन दे दिए जाते हैं, जिससे उनके घाव जल्द भर जाएं। टांके भी इस तरह लगते हैं कि उन्हें खोलने की जरूरत नहीं पड़े।
घायल पक्षियों को अस्पताल पहुंचाएं
टीम का कहना है कि पक्षियों के पंख टूटने पर लोग अस्पताल लेकर नहीं आते है। उनका मानना होता है कि पंख टूटने के बाद इसका ठिक होना संभव नहीं है, लेकिन ऐसा नहीं है। पक्षियों के पंख टूटने के बाद उनको अस्पताल ले जाना चाहिए। वे पूरी तरह ठिक हो सकते है। लोगों में जागरूकता होना जरूरी है। उनका कहना है कि इस पद्धति से काफी लाभ होगा। अनेक पक्षियों की जान बच सकती है।
इनका कहना है।
दो पक्षियों के पंखों की हड्डियां पूरी तरह से टूट गई थी। आॅपरेशन के द्वारा पंखों में राड डाली गई। दोनों को रीलिज कर दिया गया है। प्रदेश में ऐसा पहला मामला है।
– डॉ अखिलेश पांडे, बहु उद््देश्यीय पशु चिकित्सालय
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