कोरोना इफेक्ट:
लॉक डाउन ने छीना रोजगार, फिर बदला व्यवसाय
किसी ने मिठाई की दुकान पर बेची सब्जी तो कोई ऑटो से खरीद रहा कबाड़ा
कुंजेड.
कोरोना आमजन पर कहर बन कर टूटा है। न केवल कोरोना के चलते स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ा है बल्कि तंगी के हालात भी बन गए है। अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो गई है। करोड़ो लोगों की नौकरियां छीन गई है तो लाखों के रोजगार भी प्रभावित हुए है। हालांकि, अब उधोग धंधे फिर से शुरू होने से लोगों में आस जगी है। फिर भी लंबे समय तक अपना मूल व्यवसाय संचालित नही होने से दूसरा काम धंधा पकड़ लिया है। अब इनको ये काम रास आ रहा है। मूल काम के साथ इस काम को भी लगातार कर रहे है। मिलिए उन लोगों से, जिन्होंने लॉक डाउन में आर्थिक तंगी के चलते रोजगार बदल लिया। अब अन्य काम में अच्छी कमाई कर रहे है।
सवारियों की जगह कबाड़ा खरीद रहा
रामपुरिया निवासी महेंद्र कई सालों से अपना ऑटो चलाता था। बारां में ऑटो चलाकर रोजाना 500 से 700 रुपए की कमाई हो जाती थी, लेकिन कोविड 19 के कारण राज्य सरकार को लॉक डाउन लगाना पड़ा, जिसके चलते महेंद्र का रोजगार छीन गया। 2 माह में परिवार की आर्थिक स्थिति खराब हो गई। जो कुछ जमा था सब खर्च हो गया।आखिर कार महेंद्र ने मूल व्यवसाय को छोड़कर कबाड़े का धंधा शुरू किया। ये धंधा महेंद्र को काफी रास आया। अब गांव गांव जाकर कबाड़ा एकत्रित कर रहा है।
मिठाई की दुकान में सब्जी
कुंजेड निवासी राजेन्द्र चौरसिया की अपनी अच्छी भली मिठाई की दुकान थी, लेकिन लॉक डाउन में इसको बन्द करना पड़ा। पांच सदस्यीय परिवार दुकान पर निर्भर रहने से तंगहाली की हालत हो गई। करीब दो सप्ताह तक बेकार बैठे रहे। परेशान होकर सब्जी का व्यवसाय शुरू कर दिया। अब व्यवसाय ऐसा चला कि रोज एक हजार से अधिक का मुनाफा हो रहा है। चौरसिया बताते है कि सब्जी का व्यवसाय काफी रास आ रहा है। अब मिठाई की दुकान से साथ सब्जी का व्यवसाय भी जारी रखेंगे।

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